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सुखना झील को आर्द्रभूमि का दर्ज़ा (Sukhna lake given wetland status)
सुखना झील (Sukhna Lake)
- सुखना झील चंडीगढ़ में हिमालय की तलहटी (शिवालिक पहाड़ियों) में अवस्थित एक जलाशय है।
- यह एक मानव-निर्मित झील है। इसे चंडीगढ़ शहर के मुख्य वास्तुकार ले कोर्बुसीयर (Le Corbusier) द्वारा मुख्य अभियंता पी एल वर्मा के सहयोग से बनाया था।
- इस झील का निर्माण वर्ष 1958 में में 3 किमी² शिवालिक पहाड़ियों से बहकर नीचे आने वाली एक मौसमी धारा `सुखना खाड (चोअ)` के पानी को रोककर किया गया था।
- पिछले कुछ वर्षों से यह झील खरपतवार की अतिवृद्धि (Weed Overgrowth), जलग्रहण की अधिकता (Catchment Adequacy) और गाद (Silting) जैसे गंभीर मुद्दों का सामना कर रही है जो इसके आकार और गहराई को काफी कम कर रहे हैं।
- बरसाती पानी रोकने के लिए 25.42 किमी² ज़मीन ग्रहण करके उसमे जंगल लगाया गया।
- 1974 में इसमें चोअ के पानी को दूसरी तरफ मोड़ दिया गया और झील में साफ़ पानी भरने का प्रबंध कर लिया गया।
- सुखना झील को 30 वर्ष पहले वर्ष 1988 में भी एक इसी तरह की एक अधिसूचना के माध्यम से आर्द्रभूमि घोषित किया गया था।
- नई अधिसूचना में 2017 के नियमों के तहत जनता के सुझाव और आपत्तियों को शामिल किये जाने संबंधी प्रावधान हैं।
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आर्द्रभूमि घोषित किये जाने के लाभ:
- सुखना झील को आर्द्रभूमि घोषित करने से झील को संरक्षित करने और इसकी पारिस्थितिकी और जैव विविधता के संरक्षण में मदद मिलेगी।
- सुखना झील के लिये एक बड़ा खतरा निकटवर्ती क्षेत्रों के प्रदूषकों का निर्वहन है। वेटलैंड घोषित किये जाने के बाद इसे रोका जा सकेगा।
- सुखना वेटलैंड 565 एकड़ में फैला हुआ है एवं इसका जलग्रहण क्षेत्र 10,395 एकड़ में विस्तृत है। सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार, इस झील के अंतर्गत हरियाणा की 2,525 एकड़ और पंजाब की 684 एकड़ ज़मीन शामिल है। इसे वेटलैंड घोषित किये जाने से इसके विस्तृत जल ग्रहण क्षेत्र में झील को दुष्प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर रोक लगाया जा सकेगा।
- वेटलैंड के साथ-साथ इसके जलग्रहण क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों को उसके प्रभाव के आधार पर प्रतिबंधित, विनियमित या बढ़ावा दिया जा सकेगा।
- अन्य लाभ:
- भविष्य में रामसर साइट (Ramsar Site) के रूप नामित कर उसके तहत मिलने वाले अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकेगा।
- वेटलैंड घोषित किये जाने के बाद इसके संरक्षण हेतु मिलने वाली वित्तीय एवं तकनीकी सहायता में वृद्धि होगी।
- विशेष क़ानूनी सहयोग के साथ-साथ जन-जागरूकता में वृद्धि के माध्यम से इसके संरक्षण हेतु जनसहभागिता बढ़ेगी।
किन गतिविधियों पर रोक होगी?
- किसी भी प्रकार का अतिक्रमण।
- किसी भी उद्योग की स्थापना या मौजूदा उद्योगों का विस्तार।
- निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में शामिल किसी भी प्रकार का निर्माण और विध्वंस कचरे का विनिर्माण, प्रबंधन अथवा संग्रहण।
- निम्नलिखित नियमों के अंतर्गत आने वाले खतरनाक पदार्थ:
- खतरनाक रासायनिक के निर्माण, भंडारण और आयात नियम, 1989
- खतरनाक सूक्ष्म जीवों के निर्माण, उपयोग, आयात, निर्यात और भंडारण के लिये नियम, 1989
- खतरनाक अपशिष्ट (प्रबंधन, निपटान और सीमा पार संचलन) संशोधन नियम, 2016
- इसमें ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2016 के अंतर्गत शामिल इलेक्ट्रॉनिक कचरा, ठोस अपशिष्ट डंपिंग, उद्योगों, शहरों, गाँवों व अन्य मानव बस्तियों से अनुपचारित कचरे और अपशिष्टों का निर्वहन।
- आर्द्रभूमि से एक विशिष्ट दूरी के भीतर किया गया स्थायी निर्माण।
अन्य प्रशासनिक उपाय:
- प्रशासन ने हाल ही में क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखने के लिये झील के पास स्थित कांबवाला गाँव के ग्रामीणों को शामिल करते हुए एक स्वैच्छिक कार्यक्रम ‘फ्रेंड्स ऑफ सुखना’ (Friends of Sukhna) शुरू किया है।
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