सतनामियों का विद्रोह
- 1672 ई. में फौजदार ताहिर खाँ तथा उसकी सेना को सतनामियों ने हरा दिया। इसके पश्चात् अहिरवाल क्षेत्र के नारनौल पर सतनामियों द्वारा अधिकार कर लिया गया।
- इनके द्वारा सारे नारनौल नगर से मुगल शासन के चिह्न मिटा दिए गए।
- औरंगजेब ने 15 मार्च, 1672 को एक विशाल मुगल सेना मोहम्मद अकबर तथा हामद खाँ, याहिया खाँ, कमालुद्दीन आदि अनुभवी सैनिक सरदारों के साथ नारनौल के लिए भेजा।
मुगल काल में जाटों का विद्रोह
- मुगल शासनकाल में हरियाणा के दक्षिणी-पूर्वी भाग में जाटों का उदय एक ऐतिहासिक घटना मानी जाती है।
- औरंगजेब के शासनकाल में जाटों को संगठित करने का श्रेय वीर गोकुला को जाता है।
- वीर गोकुला के नेतृत्व में 1669 ई. में जाटों का विद्रोह हुआ।
- 1670 ई. में मुगल सैनिकों के हाथों वीरगति प्राप्त होने के बाद जाटों का नेतृत्व राजाराम ने सँभाला।
- गोकुला की भाँति राजाराम भी मुगलों का विरोधी था । राजाराम के नेतृत्व में जाट सैनिकों ने 1688 ई. में आक्रमण कर अकबर के मकबरे को नष्ट कर दिया, परन्तु मुगलों के साथ संघर्ष करते हुए राजाराम वीरगति को प्राप्त हुआ।
- राजाराम के बाद उसका उत्तराधिकारी उसका भतीजा चूड़ामन बना।
- मुगल शासक औरंगजेब के निधन के बाद मुगल शासक बहादुरशाह ने चूड़ामन ने के नेतृत्व में जाटों के राजनैतिक अस्तित्व को स्वीकार करते हुए भरतपुर राज्य को मान्यता प्रदान की।
- चूड़ामन की मृत्यु (20 अक्टूबर, 1721) के पश्चात् उसके पुत्र बदनसिंह ने भरतपुर राज्य को सुदृढ़ किया तथा सूरजमल ने भरतपुर के वैभवशाली राज्य को उत्कृष्टता प्रदान की। सूरजमल को जाटों का प्लेटो कहा जाता है।
- सूरजमल ने अपनी योग्यता के बल पर मेवात, रोहतक तथा झज्जर जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर भरतपुर का ध्वज लहरा दिया।
- 12 दिसम्बर, 1763 को सूरजमल ने अपने पुत्र जवाहर सिंह की सहायता से फर्रुखनगर के किले पर अधिकार किया।
- फर्रुखनगर किला फतह करने के पश्चात् सूरजमल ने मुगल सेनापति नजीबुद्दौला पर आक्रमण कर दिया, परन्तु इस युद्ध में सूरजमल की हत्या कर दी गई।
- सूरजमल की मृत्यु के बाद जवाहर सिंह ने जाट साम्राज्य को सँभाला, परन्तु उसके समय में मेवात, फर्रुखनगर, झज्जर, भरतपुर साम्राज्य से पृथक् हो गए।
- जवाहर सिंह के निधन के पश्चात् भरतपुर साम्राज्य की जिम्मेदारी नवल सिंह ने सँभाली, परन्तु उस समय तक भरतपुर साम्राज्य अपने पतन की ओर अग्रसर हो चुका था।
बन्दा बैरागी (बन्दा बहादुर) का संघर्ष
- 3 मार्च, 1707 को औरंगजेब के निधन के बाद हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में विद्रोह की स्थिति उत्पन्न हो गई।
- इसी का लाभ उठाते हुए बन्दा बैरागी ने 1709-10 ई. में मुगलों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
- विद्रोह के अन्तर्गत उसने सोनीपत के सिहरीखाण्डा गाँव में अपना मुख्यालय बनाया था।
- गुरुगोविन्द सिंह के कहने पर बन्दा बैरागी ने संन्यास त्यागकर युद्ध का रास्ता अपनाया।
- विद्रोह के अन्तर्गत उसने सोनीपत, कैथल, थानेसर, सरहिन्द, शाहबाद व कुंजपुरा के क्षेत्र को जीत लिया था।
- बन्दा बहादुर ने 22 मई, 1710 को सरहिन्द के फौजदार वजीर खाँ को मार दिया तथा सरहिन्द पर अपना आधिपत्य कर लिया।
- उसने सरहिन्द युद्ध में जीते गए नए राज्य का मुख्यालय बनाया।
- बन्दा बहादुर को हराने के लिए बहादुरशाह और फिरोज खाँ मेवाती संयुक्त रूप से युद्ध करने के लिए आए।
- करनाल और इन्द्री के मध्य 26 अक्टूबर, 1710 को हुए युद्ध में बन्दा बहादुर की हार हुई।
- इसके बाद फिरोज खाँ मेवाती ने बन्दा बहादुर को तरावड़ी के युद्ध दिया। में हरा
- बन्दा बहादुर ने अपना नया मुख्यालय यमुनानगर के सढौरा में बनया।
- फर्रुखसियर के आक्रमण के बाद बन्दा बैरागी लोहगढ़ के किले में आ गया।
- 1715 ई. में मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने बन्दा बैरागी की हत्या करा दी।
रेवाड़ी के अहीर शासक
- रेवाड़ी में अहीर रियासत की स्थापना नन्दराम अहीर (गढ़ी बेलना रेवाड़ी) द्वारा औरंगजेब के काल में हुई थी ।
- नन्दराम अहीर के बाद बालकिशन वहाँ का शासक बना।
- बालकिशन अपनी वीरता के लिए विख्यात था, उसकी वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन मुगल शासक मुहम्मदशाह ने उसे शमशेर बहादुर की उपाधि प्रदान की ।
- बालकिशन ने 1739 ई. में नादिरशाह के आक्रमण के समय मुहम्मदशाह का साथ दिया, इस युद्ध में बालकिशन वीरगति को प्राप्त हुआ। इसके बाद रेवाड़ी का शासक गूजरमल बना था।
- गूजरमल को मुहम्मदशाह के द्वारा फौजदार का पद प्राप्त हुआ।
- गूजरमल ने हिसार, हाँसी, नारनौल, झज्जर और दादरी को अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया था।
- राव गूजरमल ने अपनी राजधानी गोकुलगढ़ में बनाई थी ।
- गूजरमल की हत्या बहादुर सिंह के द्वारा की गई थी।
- गूजरमल मृत्यु के बाद उसका पुत्र भवानी सिंह रेवाड़ी का शासक बना।
- उसके राज्यों को झज्जर, जयपुर व फर्रुखनगर के शासकों ने छीन लिया।
- इसका साम्राज्य 23 गाँवों तक सीमित रह गया था।