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![हरियाणा राज्य का गठन एवं पृष्ठभूमि (Formation and background of Haryana state)](https://haryanamagazine.com/wp-content/uploads/2024/12/Formation-and-background-of-Haryana-state-copy.png)
हरियाणा राज्य का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ, जब इसे पंजाब से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित किया गया। यह प्रक्रिया भारत के राज्यों के पुनर्गठन के अंतर्गत हुई, जिसका उद्देश्य भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर राज्यों का निर्माण करना था। हरियाणा के गठन की पृष्ठभूमि और इसकी यात्रा को समझने के लिए हमें इसके इतिहास, सांस्कृतिक धरोहर, और राजनीतिक परिस्थितियों को विस्तार से जानना होगा।
हरियाणा के गठन की पृष्ठभूमि (हरियाणा राज्य का गठन एवं पृष्ठभूमि)
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, देश को भाषाई आधार पर राज्यों में विभाजित करने की मांगें बढ़ने लगीं। इसी प्रक्रिया के अंतर्गत, पंजाब राज्य का भी पुनर्गठन किया गया। पंजाब एक विशाल और विविधतापूर्ण राज्य था, जिसमें पंजाबी, हिंदी और अन्य भाषाएं बोलने वाले लोग रहते थे। पंजाब के कुछ हिस्सों में पंजाबी बोली जाती थी, जबकि हरियाणा क्षेत्र में हिंदी और हरियाणवी भाषा का प्रमुखता से प्रयोग होता था।
पंजाबी और हिंदी भाषी क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक और भाषाई मतभेद इतने गहरे थे कि उन्हें एक ही प्रशासनिक इकाई के रूप में प्रबंधित करना कठिन हो गया था। इसके चलते पंजाब के हिंदी भाषी क्षेत्रों में एक अलग राज्य की मांग उठने लगी। इस मांग को बल तब मिला जब 1956 में भारत सरकार ने राज्यों के पुनर्गठन के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की।
- शाह आयोग का गठन (1966):
पंजाब को विभाजित करने और सीमाओं को निर्धारित करने के लिए न्यायमूर्ति जे.सी. शाह के नेतृत्व में शाह आयोग का गठन हुआ। - पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966:
यह अधिनियम हरियाणा के गठन का आधार बना। इसके तहत सीमाओं, विधानसभा, और उच्च न्यायालय से संबंधित प्रावधान निर्धारित किए गए।
शाह आयोग की सिफारिशें
शाह आयोग ने पंजाब के विभिन्न जिलों और तहसीलों का अध्ययन कर यह सिफारिश की कि हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा का हिस्सा बनेंगे और पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब में रहेंगे। इसकी मुख्य सिफारिशें थीं:
- हरियाणा में शामिल जिले:
- हिसार, रोहतक, गुड़गांव (गुरुग्राम), करनाल और महेंद्रगढ़।
- संगरूर जिले की नरवाना और जींद तहसीलें।
- अंबाला जिले की अंबाला, जगाधरी और नारायणगढ़ तहसीलें।
- अंबाला जिले की खरड़ तहसील के पिंजौर और मनीमाजरा कानूगो सर्कल।
- चंडीगढ़ की स्थिति:
शाह आयोग ने चंडीगढ़ को पंजाब में रखने की सिफारिश की थी। लेकिन बाद में इसे केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया और इसे पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी घोषित किया गया।
राज्य पुनर्गठन आयोग और हरियाणा की मांग
राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया कि राज्यों का गठन भाषाई आधार पर किया जाना चाहिए। इसके तहत पंजाब को भी पुनर्गठित करने की सिफारिश की गई, लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद भी हरियाणा के लोगों ने अपनी मांग जारी रखी और आखिरकार 1966 में भारत सरकार ने पंजाब के पुनर्गठन का निर्णय लिया।
18 सितंबर 1966 को, भारत सरकार ने ‘पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966’ पारित किया। इस अधिनियम के तहत, हरियाणा को पंजाब से अलग कर एक नया राज्य बनाया गया। यह अधिनियम 1 नवंबर 1966 को लागू हुआ, और इसी दिन हरियाणा एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
हरियाणा राज्य का गठन (Formation and background of Haryana state)
हरियाणा राज्य का गठन 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हुआ।
18 सितंबर 1966 को सीमा आयोग की सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार ने ‘पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 (संख्या 31)’ पारित किया।
यह अधिनियम 18 सितंबर 1966 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित हुआ और 18 सितंबर 1966 को गजट ऑफ़ इंडिया, भाग 2, खंड 1, संख्या 31 में प्रकाशित हुआ।
‘पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966’ के भाग 2, अनुच्छेद 3 में हरियाणा की सीमाओं और अन्य विवरणों की व्याख्या की गई थी, जो इस प्रकार हैं:
- निश्चित दिन से एक नया राज्य ‘हरियाणा’ के नाम से स्थापित किया जाएगा, जिसमें पंजाब राज्य के निम्नलिखित क्षेत्र शामिल होंगे:
- हिसार, रोहतक, गुड़गाँव (गुरुग्राम), करनाल, महेंद्रगढ़ जिले
- संगरूर जिले की नरवाना और जींद तहसीलें
- अम्बाला जिले की अम्बाला, जगाधरी और नारायणगढ़ तहसीलें
- अम्बाला जिले की खरड़ तहसील का पिंजौर कानूगो सर्कल
- अम्बाला जिले की खरड़ तहसील के मनीमाजरा कानूगो सर्कल का वह क्षेत्र जो पहले परिच्छेद में अनुसूचित है।
इसके बाद ये क्षेत्र पंजाब राज्य का हिस्सा नहीं रहेंगे।
- उप-अनुच्छेद (क) में वर्णित क्षेत्र से हरियाणा राज्य के अंतर्गत जींद नाम का अलग जिला बनेगा।
- उप-अनुच्छेद (1) की धारा (क), (ख), और (ग) में वर्णित क्षेत्र हरियाणा राज्य के अंतर्गत अम्बाला नाम का अलग जिला बनेगा।
- उप-अनुच्छेद (1) की धारा (ख) और (ग) में वर्णित क्षेत्र नारायणगढ़ तहसील के अंतर्गत आएंगे।
- उप-अनुच्छेद (1) की धारा (3) में वर्णित क्षेत्र नारायणगढ़ तहसील के अंतर्गत पिंजौर कानूगो सर्कल का भाग होंगे।
अधिनियम के भाग 3 में विधानसभाओं के बारे में जानकारी दी गई थी।
भाग 3 के मुख्य अनुच्छेद निम्नलिखित थे:
A. अनुच्छेद 7 में राज्यसभा में मौजूदा 11 सदस्यों के वितरण और उनके चुनाव के तरीके का सुझाव दिया गया था। B. अनुच्छेद 9 में लोकसभा सदस्यों की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई थी। C. अनुच्छेद 10 में राज्य की मौजूदा विधानसभा के सदस्यों का विभाजन किया गया, जिसमें से 54 सदस्य जो हरियाणा क्षेत्र से चुने गए थे, हरियाणा के हिस्से में रखे गए।
- नई सभा का नाम “हरियाणा विधानसभा” होगा, ऐसा उल्लेख किया गया था। D. अनुच्छेद 14(2) में हरियाणा के सदस्यों को अपनी विधानसभा का अध्यक्ष चुनने की व्यवस्था की गई थी। E. यह भी कहा गया था कि मौजूदा विधानसभा के बाद यहाँ ‘अनुच्छेद 16’ के अनुसार सदस्यों की संख्या 81 होगी।
अधिनियम के भाग 4 में उच्च न्यायालय के विषय में जानकारी दी गई, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद 21 था, जिसमें कहा गया कि पंजाब और हरियाणा की एक संयुक्त उच्च न्यायालय होगी।
‘पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966’ के अनुसार 1 नवंबर, 1966 को पंजाब राज्य दो हिस्सों में विभाजित हो गया और एक नए राज्य ‘हरियाणा’ का जन्म हुआ और हरियाणा आधिकारिक रूप से भारत का 17वां राज्य बन गया।
- प्रथम मुख्यमंत्री: भगवत दयाल शर्मा हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने।
- प्रथम राज्यपाल: धर्मवीर हरियाणा के पहले राज्यपाल बने।
प्रिय दोस्तों आशा करता हु की मेरे द्वारा दी गई हरियाणा राज्य का गठन एवं पृष्ठभूमि (Formation and background of Haryana state) की जानकारी से आप संतुष्ट होंगे और अधिक जानकारी के लिए जूडिये हमारे साथ