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Tuesday, February 11, 2025
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हरियाणा लोक वाघ-यंत्र (Musical Instruments in Haryana)

प्रिय पाठकों, आज हम Haryana Magazine की टीम के माध्यम से आज हम आपके लिए हरियाणा लोक वाघ-यंत्र (Musical Instruments in Haryana) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी लेकर आए है, जिससे आप आने वाले HSSCSSC, Bank Jobs आदि अनेक प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर सकते है।

अगर आपके पास हरियाणा लोक वाघ-यंत्र (Musical Instruments in Haryana) से सम्बंधित कोई जानकारी है, जानकारी अधूरी रह जाती है या फिर हमारी जानकारी में कोई गलती है तो कृपा आप हमारे कॉमेंट बॉक्स में सांझा कर सकते है।

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हरियाणा लोक वाघ-यंत्र (Musical Instruments in Haryana)

हरियाणा में विभिन्न प्रकार के लोक वाघ यंत्रों का प्रयोग होता है| इन्हें चार प्रकार से बाँटा गया है:-

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  1.  घन वाघ: जो वाघ धातु से बनते हैं | इसमें झाँझ, मंजीरे व चिमटे आदी आते हैं|
  2.  तन्तु वाघ: जो वाघ तार से बनते हैं| तन्तु वाघ में इकतारा, दुतारा, सारंगी आदि आते है|
  3. सुषिर वाघ: जो वाघ फूंक कर बजाए जाते हैं| इसमें बीन, बाँशुरी व शहनाई आदि आते हैं|
  4. अवनद्ध वाघ: जो चमड़े आदि से ढके हों, जैसे- घडवा, नगाड़ा, आदि |

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 तन्तु वाघ यंत्र :

1. इकतारा:

इकतारा
इकतारा

यह एक मीटर बाँस के टुकड़े और उसके एक किनारे पर लगे मिट्टी या लकड़ी के गोले से बना होता है| इसमें एक तार होती है जिसे अँगुली के संचालन से बजाया जाता है| यह जोगियों, भाटों द्वारा प्रयोग किया जाता है|

2. दोतारा: यह दो तार वाला वाला यंत्र है और यह इकतारा की तरह उसी प्रयोजन को पूरा करता है|

3. सारंगी: यह बाँस की छड़ी और लकड़ी के एक टुकड़े को खोखला कर बनाया जाता है| इसके ऊपर किनारे तक लगे तार को धनुषनुमा यंत्र से घिसकर बजाया जाता है| यह जोगियों तथा साँग (स्वांग) प्रदर्शन के दौरान उपयोग में लाया जाता है|

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अवनद्ध वाघ यंत्र

1. घडवा/घड़ा: यह मिट्टी का, भट्टी में पकाया गया मजबूत घड़ा होता है, जिसके मुख पर रबड़ बांध लेते हैं| लय और ताल के साथ अंगुलियों या हाथ की थाप देकर इसे बजाया जाता है| लोकगीतों और सत्संगो (ग्रामीण परिवेश में) घड़ा बजाने का विशेष महत्व है|

2नगाड़ा:

नगाड़ा
नगाड़ा

यह बड़े आकार का एक और से खाल से मढा हुआ वाघ है| इसे जमीन पर रखकर बड़े जोर-जोर से बजाया जाता है| इसके बड़े आकार के कारण इसके निचे छोटे-छोटे पहिए लगा लिए जाते हैं, जिससे इसे लाना ले जाना आसान हों जाता है| मंजीरा नृत्य के समय इसका प्रयोग महत्वपूर्ण है| इसे नक्कारा भी कहा जाता है|

3झील/जिल: यह नगाड़े का छोटा रूप होता है और नगाड़े के साथ ही लयबद्धता से बजाया जाता है| यह हमेशा नगाड़े के बाएँ और रखा जाता है| वास्तव में यह नगाड़े का एक भाग है जो तबले के जोड़े की तरह है|

4डफ: यह थाल के आकार का खाल से मढा हुआ एक वाघ होता है| इसे बाँए हाथ से पकड़ कर और बाँए कंधे से टीका कर दाँए हाथ से बजाया जाता है| धमाल नृत्य में इसका प्रयोग होता है| यह महेन्द्रगढ़ जिले में लोकप्रिय है| यह उत्सव सम्बंधी अवसरों पर बजाया जाता है|       

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सुषिर वाघ यंत्र

1. बाँसुरी: यह प्राचीनतम सुषिर वाघ यंत्र है| इसे मुरली के नाम से भी जाना जाता है| इसे लकड़ी की खोखली डंडी में छेद करके बनाया जाता है| सामान्य प्रकार की बाँशुरी का प्रयोग लोकगायन व नृत्य के साथ किया जाता है| बाँस (लकड़ी) से बनी होने के कारण यह बाँसुरी कहलाती है|

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2. बीनयह फूँक मार कर बजाया जाने वाला स्वर वाघ है| लोकगीत व लोक नृत्यों में धुन निकालने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है|

3. शंख:

शंख
शंख

मानव को ज्ञात सबसे प्राचीन सुषिर वाघ यंत्र है| उपयोग में लाने के पूर्व शंख के आधार में छेद किया जाता है| इस यंत्र को प्राय: मंदिरों और तीर्थ स्थलों में उपयोग किया जाता है| श्री कृष्ण द्वारा उपयोग में लाए गए शंख को पंचजन्य कहा जाता है|

4. शहनाई: इसका प्रयोग शुभ अवसरों और गीतों के साथ धुन निकालने के लिए किया जाता है|

5. हारमोनियम/पेट्टी: एक संगीत वाद्य यंत्र है जिसमें वायु प्रवाह किया जाता है और चपटी स्वर पटलों को दबाने से अलग-अलग सुर की ध्वनियाँ निकलती हैं। इसमें हवा का बहाव हाथों के ज़रिये किया जाता है|

घन वाघ यंत्र

1.  घूँघरू: यह नर्तक/नर्तकी द्वारा अपने टखनों पर बाँधे जाते है ताकि नृत्य को शक्ति प्रदान कर और प्रभावी बना सके| यह लय उत्पन्न करने में सहायक होते है|

2. खरताल:

खरताल
खरताल

ये लकड़ी के दो छोटे टुकड़ों पर लगे छोटे घुंघरू होते हैं और अन्य वाघ यन्त्रों  की ताल के अनुसार लय को बनाये रखने के लिए इन्हें एक- दुसरे को मारते हैं|

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3.  चिमटा: यह लम्बे और चपटे लोहे के टुकड़े होते हैं, जिसे एक तरफ से जोड़ा जाता है ,जिन पर छोटी-छोटी घंटियाँ लगी होती है|

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4. खंजरी: यह डफ की छोटी किस्म है| अंतर केवल यह है कि एक गोल रिंग के रूप में बनी होती है, जिसमे खनखनाहट के लिए घुंघरू या धातु के पतले गोल टुकड़े लटके रहते है| इसे सामान्यत: एकल-नृत्य प्रदर्शनों में उपयोग में लाया जाता है|

मंजीरा
मंजीरा

5. मंजीरा: यह धात्विक झाँझो का एक जोड़ा होता है| जिसे लय उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है| प्रार्थना के दौरान इसका उपयोग किया जाता है|

6झांझ: ये काँसे के दो बड़े गोल टुकड़े होते है जो नृत्य या अन्य अवसरों पर धात्वीय ध्वनि उत्पन्न करते हैं|

आशा करते हैं कि हमारी टीम द्वारा दी गई जानकारी हरियाणा लोक वाघ-यंत्र (Musical Instruments in Haryana) – हरियाणा जीके (Haryana GK) आपके लिए उपयोगी है तो कृपया हमें टिप्पणी करें। आपकी टिप्पणियों/सुझावों की अत्यधिक सराहना की जाएगी। यहां आने के लिए धन्यवाद. सादर-टीम Haryana Magazine

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