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Tuesday, February 11, 2025
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ग्रीन स्टील में ग्लोबल लीडर बनता भारत

भारत ने इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन और निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाने के अपने संकल्प में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री, श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत की पहली “हरित इस्पात वर्गीकरण प्रणाली” (Taxonomy of Green Steel) को आधिकारिक रूप से जारी किया। यह फ्रेमवर्क भारत को हरित इस्पात उत्पादन को परिभाषित करने और उसे आगे बढ़ाने में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करता है, जो देश के पर्यावरणीय और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
12 करोड़ टन की उत्पादन क्षमता तैयार करने के लिए 10 लाख करोड़ का निवेश करना होगा। मंत्रालय इस क्षमता का विस्तार ग्रीन स्टील से करने जा रहा है। अभी दुनिया के किसी देश ने ग्रीन स्टील की परिभाषा तय नहीं की है, लेकिन स्टील मंत्रालय की तरफ से ग्रीन स्टील की परिभाषा तय कर दी गई है और इस प्रकार ग्रीन स्टील में भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।

केवल ग्रीन स्टील के उत्पादन का लक्ष्य

मंत्रालय चाहता है कि वर्ष 2030 से देश में सिर्फ ग्रीन स्टील का उत्पादन हो। हालांकि अभी इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है, लेकिन पूरी तैयारी इसी दिशा में हो रही है। गुरुवार को स्टील मंत्री एच.डी कुमारस्वामी ने ग्रीन स्टील की परिभाषा को सार्वजनिक किया। दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन में स्टील सेक्टर की हिस्सेदारी सात प्रतिशत है। ग्रीन स्टील की मांग में बढ़ोतरी के लिए मंत्रालय स्टील की सरकारी खरीद में 37 प्रतिशत ग्रीन स्टील की खरीदारी को अनिवार्य कर सकती है। कुमारस्वामी ने कहा कि भारत दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है। ग्रीन स्टील के उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व देना चाहता है।

क्या होता है ग्रीन स्टील

बिजली खपत के आधार पर जैसे एसी और फ्रिज की रेटिंग की जाती है, वैसे ही ग्रीन स्टील की रेटिंग की जाएगी। एक टन स्टील के फिनिश्ड प्रोडक्ट के निर्माण में 2.2 टन से कम कार्बन उत्सर्जन पर उसे ग्रीन स्टील माना जाएगा। अगर कार्बन उत्सर्जन 1.6 टन से कम है तो उसे फाइव स्टार रेटिंग, 1.6-2 टन के उत्सर्जन पर फोर स्टार रेटिंग तो 2.0-2.2 तक कार्बन उत्सर्जन होने पर थ्री स्टार रेटिंग दी जाएगी।
  • भारत ने पहली बार हरित इस्पात वर्गीकरण प्रणाली जारी की।
  • मुख्य घोषणा – भारत की पहली हरित इस्पात वर्गीकरण प्रणाली का अनावरण।
  • महत्त्व – भारत हरित इस्पात वर्गीकरण प्रणाली जारी करने वाला पहला देश बना। इसका उद्देश्य इस्पात क्षेत्र का डीकार्बोनाइजेशन करना और निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था में संक्रमण सुनिश्चित करना है।
  • वर्गीकरण – का उद्देश्य हरित इस्पात को परिभाषित करना, CO2 उत्सर्जन में कमी लाना, नवाचार को बढ़ावा देना, और भारत में निम्न-कार्बन इस्पात उत्पादों के लिए बाजार तैयार करना।
  • हरित इस्पात की परिभाषा – प्रति टन तैयार इस्पात (tfs) में CO2 उत्सर्जन 2.2 टन से कम।
  • स्टार रेटिंग प्रणाली
    • पांच सितारा: उत्सर्जन तीव्रता < 1.6 tCO2e/tfs
    • चार सितारा: उत्सर्जन तीव्रता 1.6-2.0 tCO2e/tfs
    • तीन सितारा: उत्सर्जन तीव्रता 2.0-2.2 tCO2e/tfs
    • गैर-हरित: उत्सर्जन तीव्रता > 2.2 tCO2e/tfs
  • रेटिंग की समीक्षा आवृत्ति – हर तीन वर्ष में।
  • उत्सर्जन का दायरा – स्कोप 1, स्कोप 2, और सीमित स्कोप 3 (एग्लोमरेशन, बेनीफिशिएशन, और कच्चे माल में निहित उत्सर्जन)।
  • नोडल एजेंसी – राष्ट्रीय माध्यमिक इस्पात प्रौद्योगिकी संस्थान (NISST)।
  • प्रमाणीकरण की आवृत्ति – वार्षिक, लेकिन संयंत्र की रिपोर्टिंग के आधार पर अधिक बार अपडेट संभव।
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Note – The above given information has been published only after checking it once or twice. if there is still any error in the given information, then comment us below box so that we can correct the information.
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