दो भारतीय विरासत संरक्षण परियोजनाओं – तमिलनाडु के थुक्काची में स्थित अबथसहायेश्वर मंदिर संरक्षण परियोजना और मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित बीजेपीसीआई संरक्षण परियोजना ने सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को के एशिया-प्रशांत पुरस्कार 2024 जीते हैं।
ये दो विरासत संरक्षण परियोजनाएं एशिया प्रशांत क्षेत्र की उन आठ परियोजनाओं में से थीं, जिन्होंने सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए 2024 यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार जीते।
यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने 6 दिसंबर 2024 को बैंकॉक, थाईलैंड में अपने क्षेत्रीय कार्यालय में पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की।
![अबथसहायेश्वर मंदिर और बीजेपीसीआई परियोजना को यूनेर्सको हेरिटेज पुरस्कार मिला](https://haryanamagazine.com/wp-content/uploads/2024/12/अबथसहायेश्वर-मंदिर-और-बीजेपीसीआई-परियोजना-को-यूनेर्सको-हेरिटेज-पुरस्कार-मिला-1024x496.png)
अबथसहायेश्वर मंदिर संरक्षण परियोजना
अबथसहायेश्वर मंदिर संरक्षण परियोजना को विशिष्ट पुरस्कार श्रेणी में पुरस्कार जीता। भगवान दक्षिणामूर्ति (भगवान शिव) तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले के थुक्काची गांव में स्थित अबथसहायेश्वर (अपतसहायेश्वर) मंदिर के पीठासीन देवता हैं।
मंदिर का उल्लेख 7वीं शताब्दी के तमिल शैव कार्य ‘थेवरम’ में मिलता है और यह पाडल पेट्रा स्थलम में से एक है। मंदिर को स्थानीय कारीगर परंपराओं को ध्यान में रखते हुए संरचनात्मक संरक्षण और सजावटी कार्यों के नवीनीकरण के लिए आधुनिक इंजीनियरिंग विशेषज्ञता और हिंदू मंदिर निर्माताओं, स्थपति के ज्ञान के उपयोग के लिए यूनेस्को विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
बीजेपीसीआई संरक्षण परियोजना को मेरिट अवार्ड
बीजेपीसीआई (सर बायरमजी जीजीभॉय पारसी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन) संरक्षण परियोजना ने सांस्कृतिक विरासत संरक्षण 2024 के लिए यूनेस्को के एशिया-प्रशांत पुरस्कारों का योग्यता पुरस्कार(मेरिट अवार्ड )जीता।
बीजेपीसीआई स्कूल भवन की स्थापना 1908 में मुंबई, महाराष्ट्र में गोथिक शैली में की गई थी। स्कूल का निर्माण समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
स्कूल भवन का जीर्णोद्धार कार्य स्कूल के दो महीने के ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान किया गया था।
सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार
सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार की स्थापना यूनेस्को द्वारा वर्ष 2000 में की गई थी।
यह पुरस्कार एशिया और प्रशांत क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा विरासत मूल्य की संरचनाओं और इमारतों को बहाल करने, संरक्षित करने और बदलने के प्रयासों को मान्यता देता है।
यूनेस्को की सात सदस्यीय जूरी ने तीन मानदंडों के आधार पर क्षेत्रीय सम्मान के लिए परियोजनाओं का चयन किया: स्थान की उनकी समझ, उनकी तकनीकी उपलब्धियाँ और उनकी स्थिरता और प्रभाव।
अंतर्राष्ट्रीय जूरी के सदस्य वास्तुकला, पुरातत्व और सामुदायिक विकास में संरक्षण व्यवसायी थे।
2024 के पुरस्कार विजेता
यह पुरस्कार पाँच श्रेणियों में दिया जाता है, जिसमें उत्कृष्टता पुरस्कार सर्वोच्च है। अन्य पुरस्कार श्रेणियाँ हैं विशिष्टता पुरस्कार, योग्यता पुरस्कार, विरासत संदर्भ में नए डिज़ाइन के लिए पुरस्कार और सतत विकास के लिए विशेष मान्यता।
2024 के यूनेस्को पुरस्कार के आठ विजेता निम्नलिखित हैं।
उत्कृष्टता पुरस्कार
- इनारी-यू बाथहाउस जीर्णोद्धार परियोजना,टोक्यो, जापान
विशिष्टता पुरस्कार
- अबथसहायेश्वर मंदिर संरक्षण परियोजना, थुक्काची ,तमिलनाडु,
- गुनान स्ट्रीट ऐतिहासिक ब्लॉक संरक्षण परियोजना,यिक्सिंग,जियांग्सू प्रांत,चीन।
योग्यता पुरस्कार,
- बीजेपीसीआई संरक्षण परियोजना, मुंबई, भारत;
- गुआनिन हॉल टीहाउस संरक्षण परियोजना, चेंगदू, सिचुआन प्रांत, चीन;
- हेलो पैवेलियन संरक्षण परियोजना, शंघाई, चीन;
- ऑब्ज़र्वेटरी टॉवर संरक्षण परियोजना, क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड।
सतत विकास के लिए विशेष मान्यता
- गुनन स्ट्रीट ऐतिहासिक ब्लॉक संरक्षण परियोजना
- हेलो पैवेलियन संरक्षण परियोजना, शंघाई, चीन;
विरासत संदर्भों में नए डिजाइन के लिए पुरस्कार
- रबींधोर्न बिल्डिंग, बैंकॉक, थाईलैंड
यूनेस्को के बारे में
यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) 16 नवंबर 1945 को स्थापित एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है।
यूनेस्को का मिशन- शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, संचार और सूचना के माध्यम से शांति, गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और अंतर-सांस्कृतिक संवाद की संस्कृति का निर्माण करना।
- सदस्य: 195 सदस्य और 8 सहयोगी सदस्य
- मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस