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Wednesday, February 12, 2025
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हरियाणा के प्रसिद्ध टीले ( Famous Mounds Of Haryana)

प्रिय पाठकों, आज हम haryanamagazine.com की टीम के माध्यम से आज हम आपके लिए हरियाणा के प्रसिद्ध टीले ( Famous Mounds Of Haryana),  के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी लेकर आए है, जिससे आप आने वाले HSSCSSC, Bank Jobs आदि अनेक प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर सकते है।

अगर आपके पास हरियाणा के प्रसिद्ध टीले ( Famous Mounds Of Haryana) से सम्बंधित कोई जानकारी है, जानकारी अधूरी रह जाती है या फिर हमारी जानकारी में कोई गलती है तो कृपा आप हमारे कॉमेंट बॉक्स में सांझा कर सकते है।

हरियाणा के प्रसिद्ध टीले ( Famous Mounds Of Haryana)
हरियाणा के प्रसिद्ध टीले ( Famous Mounds Of Haryana)

हरियाणा के प्रसिद्ध टीले ( Famous Mounds Of Haryana)

कुरुक्षेत्र जिले के टीले

हर्ष का टीला

यख कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर स्थान पर स्तिथ है इसी स्थान पर थानेसर बसा हुआ है और इसी स्थान पर मृदभांड व इंटों के बर्तन व वैदिक काल व मुगल कालीन तक के अवशेष मिले है

यह टीला 750 मीटर चौड़ा है और करीब 18 फुट ऊंचा है इसकी लम्बाई 1 किलोमीटर तक है इसे थानेसर का टिला भी कहा जाता है

कर्ण का टीला

यह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पास मिर्जापुर गांव के स्थित है यह करीब 200 वर्ग मीटर तक फैला हुआ है इसे कर्ण का किला भी कहा जाता है

भगवानपुर का टीला

यह भी कुरुक्षेत्र जिले में स्थित है इसका क्षेत्रफल लगभग 1244 वर्ग किलोमीटर है इस स्थान पर हड़प्पा कालीन संस्कृति के मृदभांड व अवशेष प्राप्त हुए है

दौलतपुर का टीला

इस टीले को 3 भागों मे विभाजित किया गया था प्रातः कल मे 1800 से 1500 ईस्वी, दूसरे कल मे 1100 से 500 ईस्वी एर तीसरे कल मे 500 से 5 वी ईसा पूर्व तक बांटा गया  है

विश्वामित्र का टीला

यह कुरुक्षेत्र के पेहोवा तहसील मे है पेहोवा शहर सरस्वती नदी के किनारे पर बसा हुआ है यह टीला प्राचीन विष्णु मंदिर के अवशेषों पर आधारित है इसकी खुदाई में पक्की ईंटों से बने एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों का पता चला है

कैथल जिले के टीले

बालू का टीला

यह कैथल के दक्षिण मे 17 किलोमीटर दूर है इसका माप 210 गुना 180 मीटर है और इसकी ऊंचाई 45 मीटर है इसे वर्ष 1978-79 में खोदना शुरू किया गया था इसकी खुदाई मे पूर्व हड़प्पा कालीन के मृदभांड मिले हैं जो उत्तर सीसवाल संस्कृति के मृदभांडों से मिलते जुलते है जिसमे कच्ची इंटे व चूड़िया प्रमुख है

हिसार जिले के टीले

अग्रोहा का टीला

यह हिसार जिले के अग्रोहा नामक स्थल पर है जो अग्रोहा से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसे स्थानीय भाषा मे थेर भी कहा जाता है इसकी खुदाई हरियाणा पुरातत्व विभाग के श्री जे एस खत्री व श्री आचार्य ने शुरू कारवाई थी जिसमे रक्षा दिवस, मंदिरों व भवनों केअवशेष और विभिन्न प्रकार की अकृतिया, अर्द्ध कीमती पत्थर, लोहे और तांबे के औजार, पत्थर की मूर्तियां, रेत की मूर्तियाँ और मास्क, मिट्टी पशुओं, बर्तन और खिलौने जैसी कलाकृतियों बड़ी संख्या में मिली थी।

राखीगढ़ी का टीला

यह टीला हिसार के नारनौद के पास स्थित है मोहनजोदड़ों व हड़प्पा के बाद, सिन्धु घाटी सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल है इसकी ऊंचाई 17 मीटर है यह लगभग 6 से 8 किलोमीटर वर्ग क्षेत्रफल मे फैला हुआ है इसकी खुदाई से मईटी के बर्तन, चूड़िया, कप, बीकर व कलश आदि वस्तुए मिली थी हाल ही मे इसे केंद्र सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संग्रहालय व पर्यटन स्थल बनाया जाएगा

सिसवाल का टीला 

यह टीला हिसार से 25 किलोमीटर दूर सिसवाल गाँव मे चोतांग नहर के किनारे पर स्थित है इसकी ऊंचाई 25 मीटर है और इसका क्षेत्रफल 47100 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है, वर्ष 1963 मे इसे स्थल के रूप मे पहचान दी गई जहां पर सिंधु घाटी के अवशेष देखे जा सकते है लेकिन 1997 मे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे अपने अधीन कर लिया गया, यह हरियाणा के प्रसिद्ध टीले मे से एक है

यह एकमात्र एस पुरातत्व स्थल जहां पर जहां एक ही जगह पर हड़प्पा युग के पूर्व, मध्य और उत्तर समय के अवशेष देखे जा सकते हैं, सुरजभान ने इस सिसवाल संस्कृति की खुदाई का विचार ससबे पहले रखा था इसे दो भागों मे विभाजित किया जाता है इसकी खुदाई मे कीमती पत्थर, बर्तन, चूड़िया मिले है

भिवानी जिले के टीले

मिताथल का टीला

यह टीला भिवानी जिले से 15 किलोमीटर दूर मिताथल गांव में स्थित है इस पुरातत्व स्थल पर दो टीले पाए जाते है जिसका एक हिस्सा पूर्वी क्षेत्र मे है जिसका क्षेत्रफल 15310 वर्ग किलोमीटर है और ऊंचाई 5 मीटर है दूसरा टीला पश्चिमी क्षेत्र मे है जिसका क्षेत्रफल 41210 वर्ग किलोमीटर  है और जिसकी ऊंचाई 3 मीटर है यह हरियाणा के प्रसिद्ध टीले मे से एक है

इस स्थल का उत्खनन या खुदाई 1967 के आस पास डॉक्टर सुरजभान द्वारा शुरू किया गया था जहां पर मिट्टी के बर्तन, कांच की चूड़िया, मनके, हाथी के दांत, तांबे की चूड़िया आदि प्राप्त हुई थी

नौरंगाबाद का टीला

यह भी भिवानी जिले के 10 किलोमीटर दूर नौरंगाबाद गाँव मे स्थित है इस टीले से पूर्व हड़प्पाण और हड़प्पा (सिंधु घाटी सभ्यता) संस्कृति के अवशेष मिले है इसकी खुदाई फरवरी 2011 मे शुरू की गई लेकिन इस स्थल का पता 1980 मे लग गया था जिसमे उपकरण, खिलौने, सिक्के, मूर्तिया आदि मिले है पुरातत्वविदों के अनुसार यहाँ गुप्त सिक्कों का संग्रह पाया गया है

फतेहाबाद के टीले

बनावली का टीला

यह फतेहाबाद से 14 किलोमीटर दूर बनावली गाँव मे स्थित है इसका क्षेत्रफल 25 हजार वर्ग किलोमीटर है और इसकी ऊंचाई लगभग 10 मीटर है इसकी खुदाई हरियाणा सरकार द्वारा 1974 में आरंभ करवाई गई थी  इसे तीन स्तरों मे विभाजित किया गया है पूर्व हड़प्पा कालीन, हड़प्पाकालीन, और उत्तर हड़प्पाकालीन, इसकी खुदाई मे गहने और देवी तथा देवताओं की मूर्तियां शामिल है जो सोना, पीतल, तांबा और चांदी से बनाई गई हैं।

कुणाल का टीला

यह टीला फतेहाबाद के रतिया नामक स्थान पर स्थित है यह हड़प्पा संस्कृति के अवशेष मिले है जिसमे सोने चांदी के आभूषण प्राप्त हुए है

रोहतक जिले के टीले

फरमाणा खास का टीला

यह  टीला हरियाणा के रोहतक जिले में स्तिथ है। इसे दक्ष–खेड़ा का टीला भी कहा जाता है हरियाणा में मिले पुरातात्विक स्थलों में राखीगढ़ी पुरातत्व स्थल के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा पुरातात्विक स्थल है

आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दो गई जानकारी हरियाणा के प्रसिद्ध टीले ( Famous Mounds Of Haryana) से संतुष्ट  होंगे और अधिक जानकारी लेने के लिए हमारे साथ जुड़िये

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