6 दिसंबर 2024 को वित्तीय वर्ष 2024-25 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआईI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों या 0.50% की कटौती की घोषणा की है साथ ही वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के पूर्वानुमान को 7.2 % के अपने पिछले पूर्वानुमान संशोधित कर 6.6 प्रतिशत कर दिया है।
लगातार ग्यारहवीं बार आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने नीति रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने के लिए 4:2 बहुमत से मतदान किया है।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-7 फरवरी 2025 को होगी।
![आरबीआई ने सीआरआर में 50 बीपीएस की कटौती और वित्त वर्ष 25 के लिए जीडीपी विकास दर घटाकर 6.6% किया](https://haryanamagazine.com/wp-content/uploads/2024/12/आरबीआई-ने-सीआरआर-में-50-बीपीएस-की-कटौती-और-वित्त-वर्ष-25-के-लिए-जीडीपी-विकास-दर-घटाकर-6.6-किया-1024x498.png)
सीआरआर में दो चरणों में कटौती की जाएगी
- नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में दो चरणों में 50 आधार अंकों या 0.50% की कटौती की जाएगी।
- पहले चरण में 14 दिसंबर 2024 को सीआरआर को घटाकर 4.25% किया जाएगा।
- दूसरे चरण में 28 दिसंबर 2024 को इसे 25 आधार अंकों या 0.25% घटाकर 4% किया जाएगा।
- आरबीआई के अनुसार सीआरआर में 0.50% की कटौती से बैंकिंग प्रणाली में लगभग 1.16 लाख करोड़ रुपये जारी होने की उम्मीद है।
- सीआरआर बैंक की शुद्ध मांग और सावधि जमा देयताओं (एनडीटीएल) का प्रतिशत है जिसे बैंक को नकदी, सोने या अनुमोदित सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में अपने पास रखना होता है।
पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति 2024-25 के बाद नीतिगत दरें और अनुपात
सीआरआर को छोड़कर नीतिगत दरों और अनुपातों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वे इस प्रकार हैं
नीति रेपो दर | 6.5% |
प्रत्यावर्तनीय रेपो दर | 3.35 % |
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) | 6.25% |
सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) | 6.75% |
बैंक दर | 6.75% |
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) | 4.50% |
2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान
आरबीआई ने दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के अपेक्षा से कम 5.2% की वृद्धि दर के बाद वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की अपेक्षित वृद्धि दर को संशोधित किया है।
आरबीआई को अब उम्मीद है कि 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.6% से बढ़ेगी।
2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी।
आरबीआई गवर्नर द्वारा घोषित नीतिगत पहल
- बैंक प्रति किसानों को अब 2 लाख रुपये तक का बिना किसी गारंटी के कृषि ऋण दे सकते हैं। पहले यह सीमा प्रति उधारकर्ता 1.60 लाख रुपये थी। इससे छोटे और सीमांत किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
- लघु वित्त बैंक, एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस के माध्यम से ऋण दे सकते हैं। अब तक केवल अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को ही अपने ग्राहकों को यह सुविधा देने की अनुमति थी।
- हालाँकि, भुगतान बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को इस सुविधा का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)
मौद्रिक नीति समिति की स्थापना भारत सरकार द्वारा 29 सितंबर 2016 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के तहत की गई थी।
- इसमें छह सदस्य होते हैं, और इसके अध्यक्ष आरबीआई गवर्नर होते हैं।
- यह भारत सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आरबीआई की नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करती है।
- आरबीआई अधिनियम के अनुसार एमपीसी को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम चार बैठक अनिवार्य है।
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