रूस निर्मित बहुउद्देश्यीय स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशील को 9 दिसंबर 2024 को रूस के कलिनिनग्राद में स्थित यंतर शिपयार्ड में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। ध्वजारोहण समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, रूसी उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर वासिलीविच फोमिन, रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार और दोनों देशों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों भी उपस्थिति थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी मिशन की 21वीं बैठक में भाग लेने के लिए 8 से 10 दिसंबर 2024 तक रूस की आधिकारिक यात्रा पर हैं। यह बैठक 10 दिसंबर 2024 को मॉस्को में आयोजित की जाएगी।

आईएनएस तुशील और प्रोजेक्ट 1135.6 के बारे में
आईएनएस तुशील, प्रोजेक्ट 1135.6 का सातवाँ जहाज है जिसे रूस द्वारा भारतीय नौसेना के लिए बनाया जाना है। इस परीयोजना के तहत पहले तीन जहाज़ (तलवार, त्रिशूल, तबर) सेंट पीटर्सबर्ग में स्थित “बाल्टीस्की ज़ावोद” शिपयार्ड द्वारा बनाए गए थे।
अगले तीन जहाज़ (तेग, तर्कश, त्रिकंद) को कलिनिनग्राद में स्थित “यंतर शिपयार्ड” द्वारा बनाया गया था।
2016 में, भारत ने एडमिरल ग्रिगोरोविच क्लास (नाटो जिसे क्रिवाक III जहाज़ कहता है) के चार और फ्रिगेट खरीदने के लिए रूस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
दो जहाज़ रूस में बनाए जाने थे (तुशील और तमाल), और दो भारत में गोवा शिपयार्ड द्वारा बनाए जाने थे।
गोवा शिपयार्ड द्वारा निर्मित पहला जहाज, ‘त्रिपुट‘ 24 जुलाई 2024 को पानी में उतारा गया था।
भारत को रूसी जहाज की पेशकश
तुशिल (एडमिरल बुटाकोव) और तमाल (एडमिरल इस्तोमिन) नामक दो फ्रिगेट रूसी नौसेना के लिए बनाए जा रहे थे और इनका निर्माण 2013 में शुरू हुआ था। दोनों फ्रिगेट गैस टरबाइन इंजन द्वारा संचालित हैं, जिन्हें यूक्रेन के मायकोलाइव में स्थित ज़ोर्या-मशप्रोक्ट कंपनी द्वारा आपूर्ति की जानी थी।
2014 में रूस द्वारा यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्ज़ा करने के बाद, यूक्रेनी सरकार ने रूस को इंजन की आपूर्ति करने से इनकार कर दिया।
इसके बाद रूस ने इन निर्माणाधीन फ्रिगेट को भारत को देने की पेशकश की और 2016 में दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
भारत ने इन जहाजों के लिए यूक्रेन से गैस टरबाइन इंजन खरीदा है।
भारतीय नौसेना के जहाज डीजल या गैस से चलने वाले टर्बाइन द्वारा संचालित होते हैं।
आईएनएस तुशील पर स्वदेशी सामग्री
रूस द्वारा भारत को आपूर्ति की गई पिछले छह फ्रिगेट के विपरीत, आईएनएस तुशील में कई भारतीय उपकरण इस्तेमाल किए गए हैं।
फ्रिगेट के लगभग 26% उपकरण भारतीय मूल के हैं, और 33 भारतीय निर्मित प्रणालियाँ फ़िरगेट पर लगी हैं।
आईएनएस तुशील में भारत में निर्मित PJ-10 ब्रह्मोस मिसाइलें, सोनार सिस्टम, सतह निगरानी रडार, डेप्थ चार्ज रॉकेट लॉन्चर और संचार प्रणाली शामिल हैं।
आईएनएस तुशील एक स्टील्थ फ्रिगेट है जो पनडुब्बी रोधी युद्ध में सक्षम है। इसमें कामोव 28 और कामोव 31 जैसे हेलीकॉप्टरों के लिए हैंगर है।
आईएनएस तुशील को हवा, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुम्बकीय युद्ध सहित ब्लूवाटर ऑपरेशन के लिए डिज़ाइन किया गया है।