तीन दिवसीय कृष्णवेणी संगीत नीराजनम 2024 महोत्सव, 8 दिसंबर 2024 को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित तुम्मलपल्लीवारी क्षेत्र कलाक्षेत्रम सभागार में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस महोत्सव का आयोजन तेलुगु संस्कृति और कर्नाटक संगीत को समृद्ध श्रद्धांजलि देने और कम-ज्ञात कलाकारों को प्रदर्शन के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए किया गया था।
![कृष्णावेणी संगीत नीरजनम 2024 विजयवाड़ा में संपन्न हुआ](https://haryanamagazine.com/wp-content/uploads/2024/12/कृष्णावेणी-संगीत-नीरजनम-2024-विजयवाड़ा-में-संपन्न-हुआ-1024x371.png)
कृष्णवेणी संगीता नीराजनम के आयोजक
आंध्र प्रदेश में 5 से 8 दिसंबर 2024 तक आयोजित तीन दिवसीय कृष्णवेणी संगीता नीराजनम का आयोजन केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय और आंध्र प्रदेश सरकार के साथ साझेदारी में किया था।
कृष्णवेणी संगीत नीराजनम का उद्घाटन किसने किया?
कृष्णवेणी संगीत नीरजनम का उद्घाटन 6 दिसंबर 2024 को केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने किया। केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री कंडुला दुर्गेश भी इस उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे।
कृष्णवेणी संगीत नीराजनम का स्थान
कृष्णवेणी संगीत नीराजनम महोत्सव के तहत ,आंध्र प्रदेश में तीन स्थानों पर सांस्कृतिक और संगीत समारोह आयोजित किया गया। यह तीन जगह – कृष्णा नदी के तट पर दुर्गा घाट, श्री दुर्गा मल्लेश्वरी स्वामी वरला मंदिर और विजयवाड़ा में तुम्मलापल्लीवारी क्षेत्र कलाक्षेत्रम सभागार में आयोजित किया गया था।
कृष्णवेणी संगीता नीराजनम के बारे में
कृष्णवेणी संगीता नीराजनम उत्सव, संगीत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की पहल का एक हिस्सा था, जिसके तहत ऐसे उत्सवों के माध्यम से कम-ज्ञात लेकिन सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों को उजागर किया जाता है।
इस कार्यक्रम का आयोजन आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, अहोबिलम, मंगलागिरी, राजमुंदरी और तिरुपति जैसे कम-ज्ञात लेकिन आध्यात्मिक और विरासत से समृद्ध पर्यटन स्थलों पर किया गया।
इस उत्सव का उद्देश्य लोगों को इन स्थलों पर जाने के लिए प्रोत्साहित करना था, ताकि इन क्षेत्रों में स्थानीय पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिले।
तीन दिनों में 35 प्रदर्शनों में संगतकारों सहित लगभग 193 कलाकारों ने भाग लिया और अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उत्सव के दौरान त्यागराज, अन्नामाचार्य, रामदास और श्यामा शास्त्री जैसे महान संगीतकारों को उनकी रचनाओं के गायन से सम्मानित किया गया। तेलुगु भाषा की गीतात्मक सुंदरता को आत्मा को झकझोर देने वाली देवी कृतियों, पंचरत्न कीर्तनों और व्याख्यान प्रदर्शनों के माध्यम से मनाया गया।